Har eik baat pay kehtay ho tum key ‘toh kya hai’ ?
Tumhi kaho key ye andaaz-e-guftguu kya hai ?
Ragon may daudtay firnay kay ham nahi qayal,
Jab aankh hi say na tapkaa to firr lahoo kya hai ?
हर एक बात पर कहते हो तुम के "तो क्या है" ,
तुम्ही कहो के ये अंदाज़-ए-गुफ्तगू क्या है ,
रंगो में दौड़ते फिरने के हम नही कायल ,
जब आँख ही से ना टपका तो फिर लहू क्या है ।
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